है मंज़िल का इंतज़ार बहुत,
है रास्ता भी बेज़ार बहुत,
हम दर्द में चलते जाएंगे,
है तेरी भी दरकार बहुत...
नदिया में दर्रे भी हैं बहुत,
दरिया से मिलना भी है बहुत,
हम अब ना रोक पाएंगे,
हम में भी लहरे हैं तो बहुत...
मंज़िल की कोशिश की तो बहुत,
चट्टानों से लड़ते थे बहुत,
लेकिन तेरी खामोशी ने,
हमको भी है तड़पाया बहुत...
सेहरा में भी रौशन था बहुत,
सूरज से भी मांगा था बहुत,
हम नींद में तुझको पाएंगे,
ऐसी फ़ीकी किस्मत थी बहुत...
Aug 30, 2019 11:42 PM