Monday, December 13, 2021

लफ़्ज

किताब लिख सकता हूँ,

कह नहीं सकता,

लफ़्ज तो हैं मग़र,

बात इतनी छोटी नहीं...

कितना कबसे पता कहाँ,

तुम पूछतीं तो बता न पाता,

नज़रें मैंने मिला तो लीं,

तुम न हटातीं तो मैं भी हटा न पाता....

खुलकर तुमसे कहता क्या,

कोई पूछा तब भी जाना नहीं,

इश्क़ मुश्क लग गया जहाँ,

कितना भी ढकता मैं छुपा न पाता...

शायरों से सीखी थी, ऐसे नहीं,

कोई मुझको समझा पाया भी नहीं,

कोई कहता भी के भूल जाओ उसे,

कितना भी कहता मैं भुला न पाता...

तुमने भी बढ़कर थामा नहीं,

मैं भी कब तक हाँथ बढ़ाता,

लेकिन अगर पकड़ लेता ना,

कितना भी करता कोई छुड़ा न पाता...

एक आख़िरी बात थी कहनी,

कल भी तुम थीं, आज भी तुम हो,

अब भी तुम हो और आगे भी,

बिना तुम्हारे बड़ी दूर चला हूँ

मैं भी तुम्हारे साथ,

कमबख्त कोई ताजमहल बन गया जैसे,

दिल मेरा तेरी मोहब्बत का

कब्रगाह बन गया जैसे,

कितना मिटाया मिटता ही नहीं,

दिल मेरा क़िताब पे लिखा

तेरा नाम बन गया जैसे,

लिखा भी तो मैंने ही था,

कितना भी करता कोई मिटा न पाता...


Dec 13, 2021      1:00 AM

Sunday, May 2, 2021

अंतर्द्वंद

एक सवाल उठा है मन में

याद रखूं या भूल जाऊं तुम्हें

कैसे भूलूँ सुबह की किरणें

कैसे भूलूँ तन्हाई

सभी जगह बस तुम ही तुम हो

तुम ही मेरी परछाईं

रात के कोहरे में भी तुम हो

तुम ही धूप सबल छायी

फूलों में देखा है तुमको

तुम्हीं महक बनके आईं

किसी तेज़ चंचल हवा में

किसी पेड़ की कनकलता में

नदी बनी चलती जाती हो

पल पल लेती अंगड़ाई

एक नदी तो तुम भी हो

सभी घाट तुममें मिलते

कोई किनारा टूट न जाये

बड़ा संभल कर चलती हो

खड़ा हूँ मैं भी बीच धार में

कुछ तो ध्यान करो मेरा

इस पार रहूँ उस पार रहूँ

या मुझे डूबा दो बीच घनेरा

मुझे खींच ले जाओ धार में

मुझे मिला लो अपने रंग में

मुझे रात की नींद भी दे दो

कभी तो देखूं एक सवेरा

आज फंसा हूँ अंतर्द्वंद में

तुम ही दिखती हो कण कण में

कैसे तुमसे नज़र फेरूं

कैसे देखूं कोई नज़ारा

नज़र भी तुम हो

दरस भी तुम हो

और चमकता उजियारा


May 2, 2021          11:25 PM

Wednesday, January 27, 2021

खोज

ख़जाने ढूंढ हीरा ला,

चमकता एक टुकड़ा ला,

मेरे लिए थोड़ी मेहनत कर,

कहीं से खोज कर ले आ,

तड़कता ना हो भड़कता,

कहीं से न हो खटकता,

जो मुझको दिखलाये मैं कौन,

तू ऐसा एक शीशा ला,

भड़क जाए मगर ठंडा,

हो अपने साथ का बन्दा,

मिला ले हाँथ न छोड़े,

मेरे लिए ऐसा साथी ला,

लड़कपन सी मोहब्बत ला,

नज़र मासूमियत की ला,

कोई छू दे तो जल जाए,

मेरे लिए ऐसी हमदम ला,

लगाए कीमतें लाखों,

कोई भी उसकी सादगी की,

बिके न तब भी पल भर को,

मेरे लिए ढूंढ, उस को ला,

अदाएं बांकपन की हों,

ज़रा सा वो संवरती हो,

कोई बोले तो वो गाये,

तू ऐसी दिलकशी को ला।



Jan 27, 2021       12:31 AM

ख़ामोशी

तू अभी नादान है तेरे ख़यालों की दुनिया अभी आबाद है यही तेरी ग़लती है इसमें तेरी ग़लती तो कुछ नहीं इसमें वक़्त की भी ग़लती नहीं इसमें दुनिया की ग़ल...