Saturday, February 17, 2024

ख़ामोशी

तू अभी नादान है

तेरे ख़यालों की दुनिया अभी आबाद है

यही तेरी ग़लती है

इसमें तेरी ग़लती तो कुछ नहीं

इसमें वक़्त की भी ग़लती नहीं

इसमें दुनिया की ग़लती है

दुनिया के सपनों की दुनिया

उठाती है गिराती है

मिलाती भी नहीं और जुदा भी नहीं

संभालेगी तो लेकिन देर तक नहीं

तू अभी ख़ामोश है

तेरे हिस्से की आवाज़

मेरे कानों में है

इसमें मेरी ग़लती तो कुछ नहीं

इसमें वक़्त की भी ग़लती नहीं

इसमें भीड़ की ग़लती है

भीड़ जो थोपती है क़ायदे

बनाती है मिटाती है

क़ायदे पसंद भी हैं और नहीं भी

क़ायदे चलते तो हैं लेकिन ज़्यादा दिन नहीं

तुझे अभी वक़्त और लगेगा

ये फ़ासला तय करने में

फ़ासला जो है भी और नहीं भी

लेकिन इन्हीं फ़ासलों में

लोग राहें भटकते हैं

मिलते हैं बिछड़ते हैं

राहें जो मिलाती भी हैं और नहीं भी

इसमें राहों की ग़लती तो कुछ नहीं

इसमें वक़्त की ग़लती है

जो वक़्त पर लोगों को मिलाता नहीं

वक़्त सबका आता तो है

लेकिन वक़्त पर आता नहीं

हम एक सफ़र पर हैं

सफ़र तो मन तय करता है

मन चुनता भी है लेकिन हर बार नहीं

सफ़र चाहे जैसा हो

दिल जुड़े हो सकते हैं

एक दूसरे की ख़बर रख सकते हैं

दुनिया बदल सकती है

दिल बदल सकता है

सपनें भी दिल चुनता है

दिल ही सपने दिखाता है

राहें बदल सकती हैं

दिल बदल देता है

दिल की आवाज़ सुननी ही पड़ती है

तुझे वो आवाज़ सुनाई दे

ऐसी ख़ामोशी चाहिए

इसमें तेरी ग़लती तो कुछ नहीं

इसमें दिल की ग़लती है

दुनिया का शोर दिल की ख़ामोशी

सुनने ही कब देता है


Feb 17, 2024 3:34 AM

ख़ामोशी

तू अभी नादान है तेरे ख़यालों की दुनिया अभी आबाद है यही तेरी ग़लती है इसमें तेरी ग़लती तो कुछ नहीं इसमें वक़्त की भी ग़लती नहीं इसमें दुनिया की ग़ल...